Monday, August 26, 2019

भारत में गवाह बनना क्यों ख़तरनाक है?

दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती उन्नाव बलात्कार कांड की पीड़िता की हालत अभी भी नाज़ुक बनी हुई है.
रायबरेली के नज़दीक हुई एक दुर्घटना में पीड़िता और उनके वकील गंभीर रूप से घायल हुए थे जबकि दो महिला रिश्तेदारों की मौत हो गई थी.
उनमें से एक रिश्तेदार 2017 की घटना की चश्मदीद थीं.
लखनऊ के स्थानीय पत्रकार समीरात्मज मिश्र के मुताबिक़ पीड़िता और गवाह को सुरक्षा मिली हुई थी लेकिन दुर्घटना वाले दिन गनर उनके साथ नहीं था. सीबीआई मामले की जांच कर रही है.
मामले में अभियुक्त बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सभी आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
इस घटना ने एक बार फिर भारत में चश्मदीदों की सुरक्षा की ओर सभी का ध्यान खींचा है.
चश्मदीद को न्याय व्यवस्था की आंख और कान बताया गया है लेकिन अगर अभियुक्त प्रभावशाली हो तो भारत में चश्मदीद होना आसान नहीं.
दुनिया भर में 200 से ज़्यादा आश्रम चलाने वाले आसाराम बापू के बेटे नारायण साई पर लगे यौन उत्पीड़न मामले में महेंद्र चावला एक महत्वपूर्ण गवाह हैं.
आसाराम बापू और उनके बेटे नारायण साई बलात्कार मामलों में जेल में हैं.
लेकिन सुरक्षा को लेकर महेंद्र चावला की चिंता ख़त्म नहीं हुई हैं - "आसाराम जेल में हैं तो क्या हुआ, उनके सैकड़ों समर्थक तो मुझे निशाना बना सकते हैं."
महेंद्र चावला के मुताबिक़ आसाराम बापू से जुड़े कुल 10 लोगों पर हमले हुए, उनमें से तीन की मौत हुई और एक व्यक्ति राहुल सचान आज तक ग़ायब हैं.
"जिन लोगों पर हमला हुआ या फिर जिनकी मौत हुई, ये सब प्राइम विटनेस की श्रेणी में आते थे लेकिन आज तक आसाराम को अभियुक्त नहीं बनाया गया."
महेंद्र चावला को पुलिस सुरक्षा मिली हुई है लेकिन फिर भी उनसे संपर्क करना आसान नहीं है.
वो अंजान फ़ोन नंबर नहीं उठाते. अगर आपने किसी के रेफ़रेंस से उन्हें मेसेज किया भी हो तब भी उनके पास सवालों की भरमार होती है.
कारण - उन्हें सालों तक मिलीं धमकियां और उन पर हुआ जानलेवा हमला.
महेंद्र चावला दावा करते हैं 13 मई 2015 में सुबह नौ-साढ़े नौ के आसपास जब वो हरियाणा के पानीपत ज़िले के सनौली खुर्द गांव में अपने पहले फ़्लोर वाले घर में आराम कर रहे थे तो उन्हें बाहर कुछ आवाज़ सुनाई दी.
बाहर उन्हें दो लोग दिखे जिनके हाथ में बंदूक़ थी. उनमें से एक सीढ़ी चढ़ रहा था जबकि दूसरा नीचे पहरेदारी के लिए खड़ा था.
दोनो में गुत्थमगुत्थी के दौरान हमलावर ने महेंद्र चावला पर दो फ़ायर किए. पहली गोली दीवार पर लगी जबकि दूसरी महेंद्र चावला के कंधे पर.
हमलावार उन्हें मरा समझ छोड़कर भाग गए. वो क़रीब आठ से दस दिन अस्पताल में रहे.
महेंद्र चावला के मुताबिक़ हमलावर ने धमकी देते हुए कहा था, "नारायण साई के ख़िलाफ़ गवाही देता है?"
धर आसाराम बापू के वकील चंद्रशेखर गुप्ता सभी आरोपों से इनकार करते हैं.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "साल 2013 में आसाराम बापू की गिरफ़्तारी के बाद जिन मामलों को हमला बताया जा रहा है, उनमें से किसी मामले में आसाराम बापू अभियुक्त नहीं हैं. साल 2009 में राजू चांदक नाम के एक आश्रम साधक पर हमला हुआ था, उस मामले में आसाराम बापू को अभियुक्त बताया गया है."
महेंद्र चावला के आरोपों पर चंद्रशेखर गुप्ता कहते हैं, "आप पर कोई हमला होता है और आप बोल दो कि देश के प्रधानमंत्री ने हमला करवाया तो पुलिस जांच करेगी, और पुलिस पाएगी कि आरोप ग़लत हैं."
कई बार गवाहों पर पैसे, धमकी आदि का दबाव रहता है. ऐसे मामलों में अभियुक्त सबूतों के अभाव में छूट जाते हैं.
गुजरात में आरटीआई ऐक्टिविस्ट और पर्यावरणविद् अमित जेठवा मामले में वकील आनंद याग्निक गवाह भी हैं.
याग्निक के मुताबिक़ 20 जुलाई 2010 को गुजरात हाईकोर्ट के बाहर अमित जेठवा की हत्या से एक दिन पहले अमित ने उनसे उनके चैंबर में अपनी जान को लेकर चिंता जताई थी.
याग्निक के मुताबिक़ अमित जेठवा मर्डर ट्रायल के दौरान 195 में से 105 गवाह अपने बयान से मुकर गए.
इसी साल जुलाई में पूर्व सांसद दीनू सोलंकी को अमित जेठवा की हत्या में दोषी पाया गया जिसके बाद याग्निक को सुरक्षा दी गई.
पुलिस का ग़ैर-मददगार रवैया, भ्रष्टाचार भी गवाहों की परेशानी बढ़ाता है.
गवाहों के साथ न्याय व्यवस्था में कैसे व्यवहार होता है, इस पर 2018 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लिखा है कि, गवाहों के पास न कोई न्यायिक सुरक्षा होती है न उनके साथ उचित व्यवहार होता है. आज की न्याय व्यवस्था गवाहों पर बहुत ध्यान नहीं देती, उनकी आर्थिक और निजी हालत देखे बिना उन्हें अदालत बुलाया जाता है, साथ ही उन्हें आने-जाने का ख़र्च भी नहीं दिया जाता.